चंडीगढ़,15 अक्टूबर :”पावर सेक्टर बचाओ, देश बचाओ” के नारे के साथ देश भर के बिजली कर्मचारी, बिजली संशोधन बिल 2022 के खिलाफ 23 नवंबर को संसद कूच करेंगें। जो कर्मचारी संसद कूच के लिए दिल्ली नही पहुंच पाएंगे वह राज्यों में प्रदर्शन करेंगे। यह ऐलान शनिवार को इलेक्ट्रिसिटी एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के संपन्न हुए राष्ट्रीय सम्मेलन के संबोधित करते हुए नव निर्वाचित प्रधान ई.करीब ने किया। उन्होंने कहा कि पब्लिक सेक्टर, संविधान, संवैधानिक संस्थाओं, जनतांत्रिक एवं ट्रेड यूनियन अधिकारों को बचाने के लिए करो या मरो का समय है। उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन बिल 2022 के खतरनाक प्रभावों की जानकारी देने के लिए देशभर में व्याप्त अभियान भी चलाया जाएगा। उन्होंने प्रतिनिधियों से विभाग के कर्मचारियों की एकता, दूसरे संगठनों के साथ एकता और फिर आम जनता एवं उपभोक्ताओं के साथ एकता बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बिजली संशोधन बिल पास होने के बाद बिजली किसानों व कम खपत करने वाले गरीब उपभोक्ताओं की पहुंच से बाहर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि बिजली उत्पादन का निजीकरण हो चुका है और पावर ग्रिड ट्रांसमिशन लाइनों को एनएमपी के तहत निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। अगली कड़ी में बिजली संशोधन बिल पास करके बिजली वितरण को भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। जिसको बिजली कर्मचारी एवं इंजीनियर किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। एनसीसीओईईई के सभी घटक संसद कूच में केन्द्र सरकार को अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए हड़ताल में बिजली कर्मचारियों के खिलाफ की गई सभी प्रकार की दमनात्मक कार्यवाहियों को वापस लेने और उनकी मांगों का बातचीत से समाधान करने की मांग की।
सम्मेलन में ई.करीम को प्रधान, प्रशांत नंदी चोधरी को महासचिव,राजेन्द्रन को कोषाध्यक्ष व सुभाष लांबा को उपाध्यक्ष चुना गया ।
बृहस्पतिवार को शुरू हुए सम्मेलन के अंतिम सत्र में सर्व सम्मति से नई राष्ट्रीय कार्यसमिति का चुनाव किया गया। जिसमें ई.करीम (केरल) को प्रधान, एस देव राय (नई दिल्ली) को कार्यकारी प्रधान, प्रशांत नंदी चोधरी (पश्चिम बंगाल) को महासचिव,एस राजेन्द्रन (तामिलनाडु) को कोषाध्यक्ष,केओ हबीब (केरल) व सुभाष लांबा ( हरियाणा) को उप प्रधान चुना गया। इसके अलावा बेला पात्रा (पश्चिम बंगाल),दीपा के राजन (केरल), टी जयशंकर (तमिलनाडु),डी सूरी बाबू (आंध्रप्रदेश), जितिन नंदी (पश्चिम बंगाल),एस हरपाल (केरल),तुरुण भारद्वाज (पश्चिम बंगाल), सुरेश राठी (हरियाणा) को उप प्रधान, विजय लक्ष्मी (तमिलनाडु),सी उन्नीकृष्णन (केरल),अरुल सेलवन (तमिलनाडु),एम जी सुरेश (केरल),अरविंदम राय (पश्चिम बंगाल),अविजीत राय (छत्तीसगढ़),परनायक (ओडिशा), हरपाल सिंह (पंजाब) ,वी गोवर्धन (तेलंगाना) व सुदीप दत्ता (सेंट्रल यूनियन) को राष्ट्रीय सचिव चना गया। सम्मेलन में बी प्रदीप को मानद सलाहकार चुना गया। इसके अलावा अलग अलग राज्यों से 59 वर्किंग कमिटी मेम्बर भी चुने गए हैं। राज्य कांन्फ्रेंस न होने के कारण पांच राज्यों के लिए पद रिक्त रखे गए हैं। राज्य कांन्फ्रेंस संपन्न होने के बाद उनके प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय कार्यसमिति में शामिल किया जाएगा।
बिजली कर्मचारियों की मांगे निम्न हैं :-
1.बिजली संशोधन बिल 2022 को रद्द करो।कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने वाली बिजली नीति और बिजली वितरण प्रणाली के सामूहिक निजीकरण पर रोक लगाओ।
- राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र से निजी हाथों में देने पर रोक लगाओ। चल रहे निजी लाईसेंसों को रद्द करो।
- देश की खाद्य सुरक्षा के लिए बिजली वितरण प्रणाली का निजीकरण करना बंद करो।
- केएसईबी व एचपीएससी बी की तरह राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में बिजली क्षेत्र के तीन हिस्से जैसे उत्पादन, ट्रांसमिशन व वितरण को एकत्रित करो।
- बिजली के अधिकार को मानव अधिकार बनाओं।
6.जन विरोधी एवं मजदूर विरोधी लेबर कोड्स को रद्द करो।
7.एनएमपी व आत्मनिर्भर भारत के नाम पर देश की देश के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को बेचना बंद करो। - एनपीएस रद्द कर पूरानी पेंशन बहाल करो। बिजली क्षेत्र में जबरन रिटायरमेंट करना बंद करो।
- सभी प्रकार के ठेका और अस्थाई श्रमिक/कर्मचारियों को नियमित करो। नियमितिकरण तक समान काम में समान वेतन,सभी के लिए ग्रेच्युटी, ग्रुप इंश्योरेंस और सभी प्रकार की कानूनी सुविधाएं प्रदान करो। फिक्स टर्म इंप्लायमेंट बंद करो।
- रिक्त पड़े स्वीकृत पदों को रेगुलर भर्ती से भरना सुनिश्चित करो।